पतझड़ लगी हैं दिल में
बाहर, बहार की तलाश में हैं
कुछ तो हैं तुझमे सनम
जो फिर मिलने की दिल आस में हैं
ना जाने कौन सा मलहम ले रखा हैं तू
जो फिर दिल चोंट खाने की फ़िराक में हैं
उदास दहलीज़ भी पड़ी हैं यहीं
शायद तेरे आने के इंतज़ार में हैं
lamho_ki_guzarishey
Trisha R S....✍️