My New Poem..!!!
कुछ चेहरे खालिक इसलिये भी
बे-नक़ाब वक़्त आने पे करता..!!
असलियत से वाक़िफ़ करा कर
आपको सच्चाई के क़रीब लाता..!!
सहमीं सहमीं-सी बे-रंग जीदगीं में
ख़ुशीयों की बोछाँरें बरसाता..!!
मजबूर-औ-बेबसी की रंजिशों से
आज़ाद फ़िज़ाओं में ले आता..!!
प्रभु तो प्रभु है देता तो है ढील कुछ
हद तक पर सिला भी वक़्त पर देता..!!
दरिंदों-से भरे इस मशरूफ़ जहां में
कुछ फ़रिश्तों-सी सिफ़तें भी रहती..!!
भलाई भी भलाई तब है जब बुराई से
नाप-तौल मिज़ान पर परखा न जाए..!!
सौ यारों टटोलो खुद हर अमल अपना
फ़िर अंजाम की डगर पर रखोगे गर..!!
प्रभु-परस्ती की बुनियाद पर जीदगीं
गुज़ारोगे तो मुक्ति तो बस दो-क़दम..!!
✍️🌲🌹🌴🙏🙏🌴🌹🌲✍️