तेरी ज़रुरत है मुझको,
मेरी कविताओं को देने शीर्षक के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
बस बेइन्तहा मोहब्बत करने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
देर रात तक बहोत बातें करने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
दिल खोलकर सब कुछ कहने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
अब से पापा का ख्याल रखने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
घर काम में माँ का हाथ बटाने के लिए तेरी ज़रुरत है मुझको,
- पार्थ गोवरानी