कौन हो तुम!
जिंदगी में सबको खुश रखना मुमकिन नहीं होता,
फिर भी सबको खुश रखने वाली कौन हो तुम!
हर बार किसीको समज लेना मुमकिन नहीं होता,
परंतु हर बार मुझे समझने वाली कौन हो तुम!
अपेक्षाओं पर खरा उतरना इतना मुमकिन नहीं होता,
मुझे शिकायत का मौका न देने वाली कौन हो तुम!
सारे अपनोको संभालना कभी मुमकिन नहीं होता,
फिर भी हर बार मुझे संभालने वाली कौन हो तुम!
किसीकी एक आदत बदलना मुमकिन नहीं होता,
मेरे सारे पहलूओं को बदलने वाली कौन हो तुम!
- पार्थ गोवरानी