My New Poem ...!!!
यारों दुनिया से दिल लगाकर
तुम्हें दुनिया से क्या मिलेगा
याद प्रभु को बस किजीएगा
हम को प्रभुजी जरुर मिलेंगे
जहाँ की दौलत हो हुकूमत
या ताक़त हो या कि जवानी
हर चीज नाश्वँत मिटने वाली
यही चीज़ हर दौर में आनी जानी
रेह जाती हैं कदमों की निशानी
अहं-गुमान फ़ख़्र भी तो है नादानी
गरक़ है जिस में सैकड़ों सुल्तानी
इन्सान को चाहिए इन्सान होना
आदमीसे हर क़ौम को परेशानी
उजड़े तन मैले मन ना प्रभुजी गान
“रुँह”की ना दिल की प़शेमानी
अमलकी दौलतसे गरेबान ख़ाली
पर मुक्ति-मौक्ष उम्मीद है लगानी
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प़शेमानी=पश्चाताप