My New Poem..!!!
मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बूरा हूँ तो बूरा साबित कर
तुम्हें चाहा कितना तुम क्या जानो
चलो माना हमने हम बेवफा ही सही
वफ़ा है सच अपनी तो वफा साबित कर
मोहब्बत है सच तो मोहताज हरगिज़ नहीं
हम अपने हिस्सेकी तुम अपनी साबित कर
वफ़ा का सिला जफ़ा अकसर मिला जहाँमें
आशिक गर सच्चा है तो साबित कर..।।