My New Poem ...!!!
इश्क़ एक बहुत जहरीला जंगल है साहब
यहां सांप नहीं हमसफ़र डसा करते हैं
पेहले तो आपको सर पर बिढा के रखते है,
कड़ी धूपमें ऑसमाँसे ख़याली तारे तोड़ लाते है
उस पर बह़स चाँद जमीँ पर लाने की कर लेते है
एक दौ औलादके बाद तौ करवट ही बदल जाते है
ख़र्चे की बुलंदीऔसे नीचे तक नही आते है।
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