My New Poem ...!!!
इश्क़ हे तो जताना ज़रूरी नही
खुद को पागल बनाना ज़रूरी नही
मैने देखा हे तुझको भरी बज्म मे
मुझसे नज़रे चुराना ज़रूरी नही
आज़माओ अगर अजनबी हे कोई
यार को आज़माना ज़रूरी नही
होसला हे तो हसकर गुज़र जाये
ग़म मे आसू बहाना ज़रूरी नही
इश्क़ में क़िबला चाक-दामनों का जायज़ा-मुआवज़ा ज़रूरी तो नहीं
रुँहानियती”तक़ाज़ों से माना चुर
पर जिस्मानी राफ़ता जरुरी तो नहीं