वफ़ा होनी चाहिए...
हो दिल में मुहब्बत तो वफ़ा होनी चाहिए,
थोड़ी ही सहि नफरत दफा होनी चाहिए।
दिल की मरम्मत तो हम भी कर चुके हैं,
उसे सजाने में फिर थोड़ी मज़ा होनी चाहिए।
यूं ही किसी पे दिल नहीं आता ए नादान समज लें,
हो तड़प उसे पाने की तो थोड़ी हया होनी चाहिए।
मैं भी चलूं तुम भी चलो कहीं दूर जाके गूफ्तगू करें,
ये वह जगह हों जहां लोगों की रज़ा होनी चाहिए।
वो राह पर हम भी चल चुके मुहब्बत की आस ले',
जो ना समझ सकें चाह उसे सज़ा होनी चाहिए।
- हितेश डाभी 'मशहूर'