इंसानियत को फैशन बनाओ.. बर्बरता मिट जायेगी... संस्कार को मजहब बनाओ.. धर्मांधता मिट जायेगी.. नहीं लिखा किसी मजहब में..वासना में अंधे होकर.. क्रूरता व्यवहार में लाओ.. हर मजहब यही सिखाता आया..आपस का ईर्ष्या द्वेश मिटाओ..सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है भारत.. भारत के लोगो समझ भी जाओ.. नैतिकता की मशाल जलाकर.. शिष्टाचार का दिया जलाओ.. संस्कृति प्रधान रहा है भारत.. अब तो इसकी लाज बचाओ.. लड़कियों को जिंदा जलाकर .. मर्दानगी को ना थुकवाओ....पिता और भाई का धर्म निभाकर...नारी सम्मान का बीड़ा उठाओ...मर रही भारत की संस्कृति.. कोई इसको भी जिंदा करने आओ.
प्रेम सभ्यता संस्कार को.. भारत के जन-जन में भर जाओ.. भारत माँ के बेटे बनकर.. बेटियों का जीवन सँवारने आओ..
मानवता की रक्षा के हित मानव धर्म का मर्म सबको समझाओ ...
मानव धर्म का मर्म सबको समझाओ..!!
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश ( 06 दिसंबर 2019 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद ?