जिंदगी के इस सफर में,
देखे उसके रंग हजार।
हर मौसम की क्या बात करूं,
मेरी प्यारी बसंत बहार।
खिल जाती हूं मैं भी भोर में ,
देख कर तेरी खिलती बहार।
सूरज की बिंदी लगाकर
जब उठती है तु कर के शृंगार।
खुशी हो या हो ग़म कोई,
मिला हमेशा अपनों का प्यार।
खुश थी, खुश हूं, खुश रहूंगी,
तू साथ देना यूं ही हर बार।
आशका शुकल "टीनी"