महाराष्ट्र के हालात पर
भले है आग ठंडी फिर भी जल जाने का खतरा है।
बदलते दौर में उनके बदल जाने का खतरा है।।
अभी चाचा भतीजे की जुगलबंदी नहीं टूटी।
तुम्हारे दिल की सब उम्मीद ढल जाने का खतरा है।।
चचा का बार खाली जाएगा। लगता नहीं मुमकिन।
अंधेरे में भी उसके तीर चल जाने का खतरा है।।
बनी संजय की दृष्टि है महाभारत के इस रण पर।
अभी धृतराष्ट्र की भी दाल गल जाने का खतरा है।।
अटल जिनको समझते हो उन्हें फिर जांच लो रावत।
सुनो उनके सुबह होते ही टल जाने का खतरा है।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
7999473420
9993685955