तेरे बारे में सोचना।
जैसे तपती धूप में
ठंडे पानी में उतरना।।
जैसै जैसे उतरूँ
शितलता मिले भरपूर
शितलता में खोती
खुद से होती दूर।।
जैसे जैसे उतरू
तेरी यादों की गहराई में
उफ क्या नशा चढ़े
मैं खोऊँ तेरी परछाई में।।
गहराई में उतरते
तेरी यादों के गहरे पानी में
डर लगे डूब जाने का
जो आँख खुले नादानी में।।
झट आँख खुले
पट भाग आऊँ
एक लहर उठे
मैं काँप जाऊँ।।
वो अहसास तुझे
क्या मैं बतलाऊँ
आह! क्या दर्द दिया
तुझे कैसे दिखलाऊँ।।