छंद
सोना चांदी हीरा मोती भले न दिए हों किन्तु,
जिंदगी का प्यारा नजराना मुझे दे दिया।
मुझको को सुलाने, गाने गाती थी जो रोज रोज,
लोरियों का मधुर तराना मुझे दे दिया।।
निपट गंवार को संवार दिया इस भांति,
आज पथ देखिए सुहाना मुझे दे दिया।
सभ्यता ओ संस्कार, प्यार ओ दुलार दिया,
यानी मां ने सारा ही खजाना मुझे दे दिया।।
रचनाकार भरत सिंह रावत भोपाल
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