मेरे कमरे में बिखरे हुए साजो सामा को,
बड़ी एहतिहात से उठा रही हो तुम।
ना जाने तुम्हे किसका खयाल आ गया,
के चुपके चुपके आंसू बहा रही हो तुम।
में खोया मस्त तखाईल में,
मुझे बड़ी हसरत से देखती हो तुम।
गोया देखकर लगता है ऐसे,
जैसे सदियों से मुझे चाहती हो तुम।
@ धीरज