कविता - दो दिल
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मन से मन का जुड जाना
अपनेपन का एहसास है
कुछ कहे बिना ,सब समझे
दो दिलो का एहसास है
प्यार करनेवाला दिल है
प्यार का हक जतायेगा ही
समझेगा वही दिलदार है
ना समाझे वो तो अनाडी है
रुठने और मनाने के खेल
यही तो दो दिलो का मेल
बडा प्यारभरा है ये खेल
दिल से दिल मिल जाते है
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-अरुण वि.देशपांडे- पुणे.
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