कभी फूल दिल में खिले ही नहीं।
मिले थे वो लेकिन मिले ही नहीं।।
सफ़र साथ जो था वो पूरा हुआ,
मुझे अब किसी से गिले ही नहीं।
मिले थे वो लेकिन मिले ही नहीं...
यही सोचते हैं कमी क्यों रही?
निग़ाहों में हरदम नमी क्यों रही?
मिली थी न फुर्सत हमें उम्रभर,
ज़खम भी पुराने सिले ही नहीं।
मिले थे वो लेकिन मिले ही नहीं...
किया यज्ञ हमने हवन भी किया।
पढ़े मंत्र सारे उसी में जिया।
घना पेड़ वो था चली थी हवा,
मग़र शाख पत्ते हिले ही नहीं।
मिले थे वो लेकिन मिले ही नहीं.....#मानस