इक लहर उठी है , मीट जाने के लिए
इक तूफान उठा है, सीमट जानेके लिए,
कस्ती मझधार में, साहिल की ख्वाइश
भवंडर ऊठा कस्ति ,को मिटाने के लिए
गजब है गुजरना, लफ्ज के जरिए यहां
शहर ए वफा ,ईनाम अल्फ़ाज़ के लिए
गीले सीकवा से ,परे है वजूद जिंदगी का
दर्द ए गम वोह दुआ ,नूर ए नज़र के लिए
बेलफ्ज है, दास्तां ए महोबत रूहानियत,
एक एहसास रूहानी, फकत जीने के लिए
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