वोह दर्द बनकर, अब छा गए है मुझमें,
घडकनो में दिलकी ,चुभने लगे हैं मुझमें;
बहेने लगे हैं, जज्बात बनकर आंखों से,
बीरहाना दिल दीवाने ,रहने लगे हैं मुझमें;
महकती हवा के साथ , झुमता एहसास,
फुलों पर ओस बनकर, छा गए हैं मुझमें;
परिंदा ए दिल फरिस्ता, है नील आसमानी,
दिल ए नूर महोबत, आशियाना है मुझमें;
जूगनू जैसे झीलमिल ,जमाल ए दिल मेरा,
काबिल ए दाद , दिल लूटा दिया है मुझमें;