मेरे घर के पास वाले घर मे नये लोग रहने आये । कुछ दिन तो उनका व्यवहार मित्रवत रहा लेकिन कुछ समय के बाद अचानक वो न जाने क्यों हमसे कतराने लगी ,हमें देखते ही रास्ता बदल देती ।एक दिन उन्होंने हमारी तरफ दीवार खड़ी कर ली । यह सब मुझे बहुत अजीब लगा लेकिन फिर भी मैने उनसे हंसकर बोलना और वक्त बेवक्त सहयोग करना नही छोडा । मेरे इस व्यवहार से 2 साल बाद मैंने देखा कि वह अब हमसे बोलने और अच्छे पडो़सी होने का प्रयास करने लगी यह देखकर मेरा बेटा कहने लगा मां ! आपकी गांधीगिरी काम आ गई ।
Namita gupta