आज यहां कल होगे कहां,
ना जाने जाना और कहां।
जीवन जीना है एक कला,
सुन्दर सपनो की ये बेला ।।
अपनी छोटी सी दुनिया थी,
जब हम छोटे थे पर घर मे थे।
जिसके राजा हम खुद ही थे,
सब कुछ था उस दुनिया में।
तब सब अपने भी संग मे थे,
अपनो संग बीता समय सुनहरा।
हम सब से ज्यादा थे प्यारे सबको
संग, उठना, हंसना, खाना सोना।
सब बीत गया यूं क्षण भर में,
जब सब के रस्ते हुए अलग।
मंजिल सबकी है सघर्षो मय,
पर याद अभी भी वो वक्त मुझे।
जिस वक्त नही था बोध मुझे,
सबका मिलना अब सौभाग्य है।
जो कभी एक संग खेले थे,
हंसते गाते चिल्लाते थे।
ना फिक्र कभी कल की करते,
पर आज समय के चक्र मे सब।
है फसे हुए चिंतित से सब,
है जीवन जीने की जद्दोजहद।
है वही वक्त है वही समय,
पर सब है अपने अपने मे उलझे।
हे ईश्वर: है ये सब तेरी माया,
है कौन कहां कब किस से मिलना
तूने सब कुछ निश्चित कर रखा है
जीवन रूपी रंगमच यहां
किरदार सभी का निश्चित है
स्वरचित....
शिव श्रीवास्तव©®