शरारत ज़िन्दगी ने यू इस कदर की , की जो भी था वो हाथ से फिसल गया । किसी को दोष हम क्यो दे , जब हमने ही यह रास्ता चुना । लोग तो आएगे और चले जाएंगे बस साथ तो तुम्हारा और हमारा ही रहेगा । हम क्या चाहते है अपनी ज़िन्दगी यह मायने रखता है ना कि कोई और क्या । खुद के लिए समय निकालें , खुद को यह बार बार याद दिलाए कि अभी तो बस शुरवात है , अभी तो पूरा आसमा फतह करना है ।