जाने क्यूं आज भी खाली नहीं उनकी यादों से मेरे दिल का कोई कोना ,
वो उनका मुस्कुराना और वो मेरे लिए रोना ।
आज भी याद है मुझे वो हसीं पल और वो सफ़र सुहाना ,
जाने क्या लिखा था मेरे नसीब में जो हो गया मुझसे ही वो शख्स बेगना।
क्या पता था की ज़िंदगी में मेरी कभी ऐसा पल भी आएगा ,
जिसे बनाना चाहा था हमने अपना ,वो ही बेगाना हो जाएगा ।
हमे तो आज भी याद है उनका हर एक लफ़्ज़ और हर एक तराना ,
वो भले ही भूल गये पर हमारे लिए तो नामुनकिन है आज भी उनको भूल पाना ।
वो कुछ पल का.हमारा उनसे मिलना ,
और फिर हमेशा के लिए जुदा हो जाना , ।
भुला तो हम भी सकते है उन्हें,
पर नामुनकिन है उनको भुलाने के लिए खुद की धड़कन को रोक पाना ।
जाने क्यूं आज भी खाली नहीं है उनकी यादों से मेरे दिल का कोई कोना वो उनका मुस्कुराना वो मेरे लिए रोना..