तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,
काश कोई धर्म ना होता काश कोई मजहब ना होता
ना कोई झुठा काजी होता,ना लफंगा साधु होता
ईन्सानीयत के दरबार मे सबका भला होता
तुझको जो जख्म होता मेरा दिल तड़पता.
ना मैं हिन्दू होता ना तू भी मुसलमान होता
~ हरिवंशराय बच्चन