बात उन दिनों की हैं जब में फ़िल्म इंडस्ट्री में महेश सहाब का 12वे नम्बर का किलेप बॉय हुआ करता था... फ़िल्म थी आश्कि... मेरे चीफ असिस्टेंड डायरेक्टर राजीव जी मुझे हमेशा निचा दिखाते थे... लंच टाइम में हो या किसी मीटिंग में सेट पर बैठने नहीं देते थे... तब मुझें गुस्सा तो बहुत आती थी और में अपने बड़े भईया से शिकायत करता था जो इंड्रस्टी के जाने माने आर्टिस्ट हैं वो यही कहते कि तुम मेरे छोटे भाई हो इस लिए... और यही बात मेरे सिंगर मामा भी कहते थे कि तुम मेरे भाजे हो इस लिए.... तब मैंने महेश जी को असिस्ट करना छोड़ कर खुद अपने बल पर 1साल के कड़े संघर्ष के बाद जी टीवी में epi के पद पर काम मिला सीरियल था चाणक्य तब वो राजीव जी काम की तलाश में फ़िल्म सिटी के सेट पर आए तो मुझे देख कतराने लगे वो मुझें नज़र नहीं मिला पा रहें थे उनकी हालत भी दयनीय थी... मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उन्हें अपने यहां प्रोडक्शन बॉय के पद पर रख लिया...
अहंकार और द्वेष इंसान को एक ना एक दिन ज़मीन पर ला खड़ा करता हैं... इस लिए हमें हमेशा सरल रहना चाहिए....