बात ये हैं कि सिल सिला जारी रहेगा....
किसी भी सरकार की हक़ीक़त बरसात में देखने को मिलती हैं कि उसने अपने कार्य काल के समय कहां कहां थेगड़े लगा कर जनता को बरगलाया हैं...
हमारे देश के हर शहर में बड़ी बड़ी वातानुकूलित लग्ज़री गाड़ियों में सफर करने बालों से ज्यादा साधारण वर्ग का इंसान दिन भर में ना जाने कितने किलो मीटर की सड़के नाप लेता हैं.
सुबह होते ही सड़को पर हुए काल रूपी गड्ढों से जद्दोजहद करके वो अपने जीवन की गुजरबसर करने की मंज़िल तक पहुँचता हैं और फिर शाम होते ही सही सलामत अपने परिवार के पास पहुंचने के लिए जद्दोजहद करता हैं.
लेकिन फिर भी सरकार की चाशनी में डूबी महंगाई की मार में लिपटा ये इंसान चुपचाप मन मर कर पेट भरता हैं...
हर शहर में करोड़ों रुपयो का चुना लगता हैं स्मार्ट सिटी के नाम पर लेकिन शहर और शहर के वासिंदे स्मार्ट सिटी की चमक कभी नहीं देख पाते, वही एक उच्कोटि वर्ग जो अपने एसो आराम के खातिर कालोनियों को बसाते हैं और आराम दायक वाहनों में सफर करते हैं क्योंकि वो ही इस देश के सच्चे नागरिक हैं बाकी सब कीड़े मकोड़े हैं जो हर सुबह सड़को पर रेंगते हैं और रात होते ही अपने अपने बिलो में घुस कर सो जाते हैं...