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'ख़ामोशी'
चुपके से मायूस सी
खड़ी थी..
मेरी ख़ामोशी..
जरा सी आहट से भी
डर जाती थी
मेरी ख़ामोशी..
मेरे ही सपनो में आकर
मुझे कुछ केहना
चाहती थी..
मेरी ख़ामोशी..
तेरे खयालो में डूबी
पानी-पानी हो
जाती थी..
मेरी ख़ामोशी..
तुजे गले लगाकर
खूब रोना
चाहती थी...
मेरी ख़ामोशी..
तेरी तस्वीर को क्या
बयाँ करू मैं ?
बंध आँखों से
यूंही रोया
करती थी...
मेरी ख़ामोशी..
:-मनिषा हाथी
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