सारे दिन को मूर्खताओं से भर देना कितना आसान है, और उसे उपयुक्त विचारों एवं कार्यों से भरना कितना मुश्किल ! और फिर भी ईश्वर हम क्या कर रहे हैं इसमे कोई रुचि नहीं रखते, वे केवल इतना ही देखते हैं कि हमारा मन कहाँ है | प्रत्येक मनुष्य की अपनी अलग समस्या है, परंतु ईश्वर किसी बहाने को नहीं सुनते | वे चाहते हैं कि भक्त का मन उन में लीन रहे, परिस्थितियाँ चाहे कितनी विकट क्यों न हों |
?????जय सियाराम जी?????