चन्द्रशेखर आजाद जी.........
चन्द्रशेखर आजाद जी, रहे सदा आजाद।
जनता के हर दिलों में, हैं अब भी आबाद।।
मध्यप्रदेश की धरा में, जन्मा था यह लाल।
अंग्रेजों के लिये तो, बना रहा वह काल।।
अलीराजपुर जिला में, ग्राम भाबरा गाँव।
साधारण परिवार में, मातृ-पितृ की छाँव।।
माता जगरानी रहीं, पिता थे सीताराम।
बचपन इनकी गोद में, बीता था अविराम।।
पंद्रह बरस की उम्र में, कूदे रण संग्राम।
गिरफ्तार वे जब हुये, पूछा था तब नाम।।
कहा नाम आजाद है, पिता स्वतंत्रता नाम।
पता हमारा जेल है, मालिक हुये गुलाम।।
भारत की जयकार से,गूंजा जज दरबार।
पंद्रह बेंतों की सजा, पायी पहली बार।।
राष्ट्रभक्ति रगरग बसी,जिसका नहीं जवाब।
जब तक वे जिंदा रहे, सबकी हवा खराब।।
क्रांति की लौ को जला, फैलायी थी भोर।
सेनापति के रूप में, सबके थे सिरमौर।।
निर्भय मूंछ उमेठते, चैड़ा सीना तान ।
थे रखवाले देश के, आनबान औ शान।।
लालालाजपतराय को, जिसने किया शहीद।
उसका फिर बदला लिया, सबके हुये मुरीद।।
हत्यारों को मारकर, दिया उन्हें ललकार।
आजादी के दौर के, क्रांति वीर सरदार।।
उनकी टोली में रहे, एक से बढ़कर एक।
देश प्रेम की आग से, तपकर बने अनेक।।
राजगुरु सुखदेव जी,भगतसिंह यशपाल।
रोशनसिंह,राजेन्द्रनाथ,बटुकेश्वर,संन्याल।।
भगवतीचरण,विस्मिलजी,अशफाक,मनमथनाथ।
जैसे वीर सपूत थे, थामे उनका हाथ।।
असेम्बली बम कांड हो, या काकोरी कांड।
हत्यारे सांडर्स को, मारा बनकर सांड़।।
भेष बदल वे घूमते, सबको जोड़ा साथ।
सारा तंत्र तलाशता, कभी न आये हाथ।।
घर के ही गद्दार से, हुआ देश शर्मसार।
हाथ मिलाया शत्रु से, उजड़ा था संसार।।
अल्फ्रेडबाग मनहूस था, जहाँ गया था लाल।
जातेजाते बन गया, कई दुश्मन का काल।।
भारत माँ का पूत था, स्वयं सजाया थाल।
कभी नहीं झुकने दिया, ऊँचा उन्नत भाल।
आजादी के वास्ते, किये अनेकों काम।
जीवनअर्पित कर दिया,मातृभूमि के नाम।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "