" खुशी के पल " तस्वीर पर से कविता
इतनी ख़ुशी ऐसे लम्हे,ना जाने कहां से आते हैं!,
ना पित्जा ना कपड़े, ख़ुशी से वो झुमते है,
दुःख को भुलाकर, अपनी मस्ती में खेलते हैं,
पैसों के ढ़ेर में भी, ना मिल सकेगी खुशी हमें,
इतना तो फर्क है, ऐसी खुशी से जीने में,
-@ कौशिक दवे