-Nidhi-
नन्ही सी गुड़िया...
सारा दिन उछलती कूदती रहेती थी...
दुख क्या होता है सब से पूछती रहेती थी...
किसी ने बहेला दिया किसी ने टोक दिया...
फिर भी अपनी मस्ती में मस्त वो रहेती थी...
दुनिया का मतलब कोई पूछे अगर...
''मेरे मम्मी-डेडी'' बतलाती थी...
कभी तकलीफ महसूस नही की उसने...
कुछ मीले या ना मिले नज़रअंदाज़ वो करती थी...
एक दिन आया ऐसा...असलियत से रूबरू हुइ...
जीती थी अबतक वो ख्वाबो की दुनिया थी...
ऐसे अचानक बदल गया सबकुछ...
चहकती चिड़िया अब सहमी हुई सी रहेती थी...
जान गई अब कुछ न हो पाएगा...Nidhi
चुपचाप सब समझने की कोशिश किया करती थी...
दुनिया उसकी बदल चुकी थी...
दूसरी दुनिया को आबाद करने चली थी...
नन्ही सी गुड़िया अब सयानी सी लगने लगी थी...
छोटे से आंगन में अपनी दुनिया समेटने चली थी !!!
-Nidhi-