*जंगल जंगल ढूँढ रहा है..*
*मृग अपनी कस्तूरी...।*
*कितना मुश्किल है तय करना ...*
*खुद से खुद की दूरी....।*
*भीतर शून्य.. !*
*बाहर शून्य.. !*
*शून्य चारो ओर है ..!*
*मैं नहीं हूँ मुझमें*
*फिर भी "मैं - मैं"*
*का ही शोर है।।*
शुभ सवार जय श्री राधामाधव,,,,