*यादें*
यादों का क्या है
वह तो अनियंत्रित
बवंडर सी चली आती है...
समेंट कर साथ अपने
वजूद सारा ले जाती है...
देह स्थिर रहती है
वर्तमान में कही
मन को अतीत के
गलियारों में
खिंच ले जाती है...
कभी दर्द की
परतें उधेड़ती है
कभी नेह के धागे से
तुरपाई करती है...
ये यादें हमें
हम से ही जोड़े रखती है...
शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)