यह कहानी एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह के महिला - पुरुष सदस्यों की है जिनके कारनामों से अमेरिका तक परेशान है.
यह दुनिया भर में मेल के जरिए अपने शिकार को फंसाते हैं. हो सकता है कि आप में से बहुतों के पास उनकी मेल आई हो. मेरे पास भी आई थीं. बराबर आती रहीं. मैं उनका जवाब भी देता रहा. मुझे क्यों कि इनके बारे में जानकारी थी इसलिए ये मुझे शिकार नहीं बना सके. लेकिन इनके सिस्टम को समझने के लिए इनसे मेल के जरिए वार्ता करता रहा. यह सिलसिला करीब एक साल चला. आज भी इनकी बहुत सी मेल मेरे पास सुरक्षित हैं.
इस कहानी का नायक अपने को इनसे भी बड़ा शातिर समझता था. वह रेलवे की माल गाड़ी में गार्ड है लेकिन इतना बड़ा उस्ताद कि गार्ड के डिब्बे को भी अपनी परम खुराफातों का अड्डा बना रखा था, बल्कि आज भी यह क्रम जारी है. मेल के जरिए इसका भी संपर्क होता है. दोस्तों के आगाह करने पर वह उनकी बातों को हवा में उड़ाता रहा. आखिर घटनाचक्र ऐसे घूमता है कि 20 - 22 वर्षीय ठग युवती हज़ारों मील दूर दूसरे देश से उसके घर नोयडा आ कर रहने लगती है.
उसके बाद दोनों आश्चर्यजनक ढंग से पूरा भारत घूमते हैं. ऐसे रोमांचक, आश्चर्यजनक करनामों को अंजाम देते हैं कि पढ़ कर यकीन होता कि यह भी हो सकता है.
लेकिन ऐसा हुआ और सच में हुआ.
क्या-क्या हुआ पढ़िए इस अनूठी कहानी को
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