Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

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और खरगोश फिर हार गया कछुए से

खरगोश सुबह-सुबह तालाब के किनारे टहलने जा रहा था।  रास्ते में एक खेत से ताज़ा गाजर तोड़ कर वह उसे पानी से धो ही रहा था, कि इठलाती हुई एक बतख वहां आ गई।  दोनों में दोस्ती हो गयी।  बतख बोली- "लाओ, तुम्हारी गाजर का हलवा बना दूँ।"
हलवा तैयार हुआ तो बतख बोली- "जाओ, जल्दी से मुंह धोकर आओ, फिर हलवा खाना।"
खरगोश जब मुंह धोकर आया तो उसने बतख की केसरिया चोंच को देख कर मन ही मन सोचा, इसने ज़रूर पीछे से हलवा खाया है। 
उसने तालाब के थाने में जाकर चोरी की रपट लिखा दी।  थानेदार मेंढक बतख को गिरफ्तार करने चला आया। जब वह बतख को पकड़ने लगा तो बतख ने कहा-"तुम्हारे पास क्या सबूत है कि  मैंने हलवा खाया है?"
खरगोश बोला-"तुम्हारी चोंच और पंजे हलवे से लाल हो गए हैं !"
बतख घबरा कर बोली-"मैंने हलवा नहीं खाया, मेरी चोंच और पंजे तो इसी रंग के हैं।"  
शोर सुन कर तालाब से कछुआ निकल आया।  जब उसे सारी बात का पता चला तो वह फ़ौरन बोल पड़ा-"थानेदार जी,मैं एक खेत से कपास लाया था, उसका मैंने नर्म सफ़ेद कोट सिलवाया था, जो चोरी हो गया।  लगता है इस खरगोश ने वही कोट पहना है,गिरफ़्तार कर लीजिये इसे।"
खरगोश के यह सुनते ही होश उड़ गए। हक्का-बक्का होकर बोला-"मैंने कोट नहीं पहना, मेरा रंग तो सफ़ेद ही है।"
कछुआ बोला -"कुछ भी हो, अब तुम पर बतख की मानहानि का मुकदमा चलेगा। चलो मेरे साथ।"
खरगोश ने तुरंत सभी से माफ़ी मांगी, और बोला-"कछुए भैया ने आज मुझे दूसरी बार हराया है।"

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111176983
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