बादल
बादलों को देखते ही , मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही- बूदों के धरा पर आगमन से ,
संगीत का झरना बहने लगता है।
प्रकृति , वर्षा की फुहारों में ,
नवोढा नायिका सी मदमस्त होने लगती है।
हृदय में उपजी नव तरंगे अँगडाइयाँ लेने लगती है
सर्वत्र प्रेम , राग , मल्हार छाने लगता है
वर्षा का मौसम मन को दीवाना बनाने लगता है।
बादलों को देखते ही , मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही- बूदों के धरा पर आगमन से ,
संगीत का झरना बहने लगता है।
ये धरा प्यारी महकने लगती है
वन उपवनों अरण्य मे , छटा बिखरने लगती है
रंग बिरंगे रंग वसुधा का, श्रृंगार करते हैं
भवरे फूलों पर मधुर-मधुर गुंजार करते हैं।
बादलों को देखते ही , मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही- बूदों के धरा पर आगमन से ,
संगीत का झरना बहने लगता है।
कोयल , मोर , दादुरों की ये बोलियाँ
नित नवीन जीवन में अनुराग भरती है
कल-कल करती नदियाँ सरगम सी सुनाती है
झर-झर बहते झरनों से वो राग मिलाती है।
बादलों को देखते ही , मन मयूर नाचने लगता है।
नन्ही- बूदों के धरा पर आगमन से ,
संगीत का झरना बहने लगता है।
--डॉ. निर्मला शर्मा
दौसा,( राजस्थान)