#KAVYOTSAV -2
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
चारों ओर मातृ दिवस का कोलाहल,
और घर में बैठी माता के नेत्र सजल।
सभी कर रहे धड़ाधड़ मैसेजबाजी,
सबको बनना ऑनलाइन समाजी।
सवेरे से मैसिजों की ऐसी बाढ़ आई,
भूल गए देना माँ को दर्द की दवाई।
माँ अपना ख्याल खुद क्यों नहीं रखती,
क्यों हम नेटीजनों से उम्मीद करती।
मैसिज करें कि माँ पर वारे जाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
ऑनलाइन कर लिया है मातृ वंदन,
घर की बुढ़िया को कौन करें नमन।
अरे बड़े हम बिजी हैं, बड़ा काम है,
सोशल नेटवर्क पर सुबह है, शाम है।
हमको उससे बात करने की न है फुर्सत,
होती है तो होती रहे उसकी दुर्गत।
क्यों उसके लिए नेट से दूरी बनाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
सुबह मैसिज पढ़कर आया ध्यान,
आज मातृ दिवस का करना गान।
नेट से आर्डर तो किया है उपहार,
गिफ्ट ही तो है मातृ-दिवस सार।
सुबह पास से गुजरी तो पैर छुए थे,
व्यस्तता में दो मिनट माँ को दिए थे।
इससे ज्यादा क्या समय खपाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
माँ के दिमाग में जाने क्या आई,
सुबह मेरे लिए पकौड़ी बनाई।
माँ तुम्हें क्यों समझ में नहीं आता,
मातृ दिवस वर्ष में एक बार आता।
आज तुम्हें होटल में बर्गर है खाना,
मेरे साथ एक सेल्फ़ी है खिंचाना।
माँ को कैसे सोशलिज्म समझाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
माँ के ओल्ड फैशन से हूँ बड़ा परेशान,
नेटीजन की दुनिया से बिल्कुल अंजान।
पूरा जीवन हमें बनाने में लगाया,
पर दुनियादारी को कतई भुलाया।
फेसबुक , व्हाट्सएप्प को नहीं जानतीं,
नेट की दुनिया को भी नहीं पहचानतीं।
ऐसे माँ से कैसे रिश्ता निभाएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
माँ माना तूने उठाए बड़े कष्ट,
बनाया मेरा जीवन उत्कृष्ट।
तू तो घर में ही रहती है माता,
पर मातृ दिवस रोज न आता।
नेटी मित्रों के साथ समय बिताना है,
उनके साथ छद्म मदर्स डे मनाना है।
प्लीज इनसे मुझे दूर न कराएँ,
आओ चलो मातृ दिवस मनाएँ।
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प्रांजल सक्सेना