क्यों...? #Kavyotsav - 2
इतना समझदार होंकर,
क्यों...
नासमझ बने इन्सान ...?
अहम और ईर्ष्या की आग़ में,
क्यों...
जले इन्सान ...?
सेवा और सादगी से,
क्यों...
दूर भागे इन्सान...?
भोग और स्वार्थकी भिती में,
क्यों...
सदैव डूबा रहे इन्सान...?
अपना अस्तित्व बचाने,
क्यों...
दूसरों पर ज़ुल्म करे इन्सान...?
वाणी, विचार और वर्तन में,
क्यों...
ऐक्य न ला पाए इन्सान...?
जो बोले - ऐसा जीवंत चरित्र
क्यों...
न बना पाए इन्सान...?
आखिर.....
क्यों....?
क्यों...?
क्यों...?
उत्तर मालूम होने के बावजूद,
क्यों...
मतिशून्य बने इन्सान...?
- धवलकुमार पादरिया ' कल्पतरु'