#KAVYOTSAV -2
लम्हा-लम्हा जीने के लिए !!
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खूबसूरत से अहसास,
शब्दों का लिबास पहन
खड़े हो जाते जब
कलम बड़ी बेबाकी से
उनको सजाती संवारती
कोई अहसास
निखर उठता बेतकल्लुफ़ हो
तो कोई सकुचाता
....
अहसासों की शैतानियाँ
मन को मोह लेने की कला,
किसी शब्द का जादू
कर देता हर लम्हे को बेकाबू
खामोशियाँ बोल उठती
उदासियाँ खिलखिलाती जब
लगता गुनगुनी धूप
निकल आई हो कोहरे के बाद
अहसासों के बादल छँटते जब भी
कलम चलती तो फिर
समेट लाती ख्यालों के आँगन में
एक-एक करके सबको
....
कच्ची मिट्टी से रिश्ते,
पक ही जाते हैं एक दिन
वक्त के साये में
अहसासों की भट्ठी पर
परख की एक परत
जमती जाती धीमी आँच पर
कोरे सपनों को रंग गेरूआ चढ़ा
सूखने रख दिया जाता
मुखर होने के लिए
जिन्दगी को लम्हा-लम्हा जीने के लिए !!!