Gujarati Quote in Thought by Dhavalkumar Padariya Kalptaru

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शिक्षक की अभिलाषा...

    जी... हां... मैं ही चाणक्य का वंशज एवं समाज का पथदर्शक एक शिक्षक हूं। मेरे छात्र की आंखों में छुपे फूलगुलाबी रंगीन सपनों को हकीक़त में बदलकर उनके व्यक्तित्व को निखारने का हर संभव प्रयत्न में पुरुषार्थ और लगन से में करता हूं। छात्र को मूल्य शिक्षा और चरित्रघडतर की शिक्षा देने में मुझे आनंद की अनुभूति होती हैं।
   छात्र की भावनाओं को भली- भाति समझकर एवं उनकी बातों की कदर करकर उनको उन्नति की उड़ान एवं सफलता के  सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने का हर संभव प्रयत्न में करता हूं। पुरुषार्थ करके, हकारत्मक अभिगम से शून्य में से सर्जन करने की तमन्ना मेरे मन में सदैव अंकित हैं। केवल भाग्य के सहारे मुझे जीना पसंद नहीं हैं। मैं तो वो चिराग हूं कि जो पुरुषार्थ रूपी कूंची से भाग्यरूपी  बंध ताला भी खोल सकता हूं। कभी कभी शिक्षक की शिक्षा छात्र के लिए पीड़ादायक होती हैं लेकिन यही शिक्षा आगे चलकर जीवन जीने की राह बताती हैं।
    जब पढ़ाई के सालों की पूर्णाहूती के बाद छात्र मुझे छोड़कर जाते हैं तो मैं ग्लानि मेहसूस करता हूं , साथ ही साथ मेरा छात्र सफल होकर समाज का दीपक बने एसी मंगलकामना एवं आशीर्वाद देकर गर्व मेहसूस करता हूं।कभी कभी मेरे छात्रों के दीक्षांत समारोह की घड़ी एवं तस्वीर देखकर मैं भूतकाल की सुमधुर स्मृति में खो जाता हूं। मानो भूतकाल के पन्ने जैसे मेरी आंखों के सामने से फिर रहे हो एसी अनुभूति होती हैं। लेकिन मिलना और बिछड़ना तो संसार का नियम हैं, यह सोचकर मैं अपने मन को मना लेता हूं। एक बात को मैं ने बहुत सारे छात्र में घोर किया हैं,जब भी कोई छात्र मुझे रास्ते में मिलता हैं,तब उनके चहेरे की प्यारी मुस्कान देखकर मुझे खुशी की और मेरा शिक्षक जीवन मानो सफल हुआ एसी अनुभूति होती है। समाज घड़तर करने का जो उत्तरदायित्व मुझे सौंपा गया हैं उसे यथार्थ साबित करने का हर संभव प्रयास मैं करता हूं।
    छात्रों का प्यार एवं उनकी मीठी बाते सुनकर मुझे धन्यता की अनुभूति होती हैं।मेरे छात्रों को ज्ञान बांटकर मानो समाज की आंखो का तारा बनाने के लिए मैं सदैव तत्पर हूं। अंतर से मेरी एक ही अभिलाषा हैं कि , "मेरे छात्र स्वस्थ और आदर्श समाज का निर्माण करे एवं समाज के लोगों का जीवनपाथेय बने।"

                                                     - "कल्पतरु"

Gujarati Thought by Dhavalkumar Padariya Kalptaru : 111164834
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