बेटा माफ़ मुझे तू कर दे
भूल गई मैं मां का धर्म
याद रहा मुझको ये केवल
पूरा कर दूं अपना कर्म!
सोच न पाई मैं जल्दी में
कैसे किसकी जान बचे
मैंने तो बस इतना सोचा
सेवक का ईमान बचे !
दान दिया जा सकता केवल
वो ही तो जो अपना हो
उसका कैसे दान मैं करती
जो मेरा ना अपना हो
युग बीते अब क्रोध छोड़ दे
ये ही है महिमा तेरी
बेटा तू निर्दोष, अभागन-
- अपराधी है मां तेरी !!!- "बता मेरा मौतनामा" से...