Hindi Quote in Poem by Seema Shivhare suman

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

# KAVYOTSAV--2

# प्रेरणा दायक
जरुर पढ़ें..

बेटी के जलने की व्यथा

बाबुल की बिटिया पिया घर,
धूं-धूं करके जल गई।
और नकाबपोशों की टोली.
साफ बच के निकल गई।
पहले फूलों पर बैठी थी मैं...
अब फूल मुझ पर बिठलाएँ हैं।
इन छ: महीनों ने मैया...!
कितने ही रंग दिखलाएँ हैं।

अब तेरा घर है वही...
अब हमसे क्या नाता ह?
माँ हमेशा देती थी ताना...
क्या इस तरह से कोई
मायके चला आता है ?
ममता की बदरी होकर भी
तूने मेरी अगन नहीं बुझाई.
मिट गई हस्ती मेरी अब
पछताई भी तो क्या पछताई.. ?

लालची ससुराल वाले..
बहुरूपिये तो गैर थे।
जो तेरे आँगन में खेले..
वो मेरे ही पैर थे।
अब धराशायी पैरों से मैं..
कंधों पर रोती जा रही।
फूलों सी कोमल गुलाबो,
कांटों पर सोती जा रही।

दिनभर चकिया सी पिसती थी..
ताने सुनने पड़ते थे।
आँखों का चश्मा टूटा था..
स्वेटर बुनने पड़ते थे।
इक प्याला भी जो टूटा गया..
कितना रोना पड़ता था।
उस रात मुझे बाबुल मेरे..
भूखा सोना पड़ता था।

माँ कहती थी क्या सही गलत..
हर हाल में रहना पड़ता है।
डोली से शुरू हुआ रिश्ता..
अर्थी तक सहना पड़ता है।
समाज के जहरीले ताने.
आँखों को बरसाते हैं।
इक बिटिया को बाबुल के घर
रहने को तरसाते हैं।

शायद मेरे अपनों की करूणा,
पत्थरों में ढल गई।
बाबुल की बिटिया पिया घर,
धू-धू करके जल गई।

इक रात कमायत फिर आई,
ससुराल की टोली घिर आई।
कहा के तुम मयके जाओ ..
मोटर-गाड़ी लेकर आओ..
हमको भी शरीखे दुनिया में,
थोड़ी शान दिखानी पड़ती है।
इस शान की खातिर लेकिन,
बेटी की बली ही क्यों चढ़ती है?

मैंने ठुकरा दिया फरमान तभी तो
द्वार की कुण्डी लगाई थी।
मैं जान चुकी थी माँ मेरी,
अब मेरी श्यामत आई थी।
गाड़ी तो तुझसे ही लेंगे,
तू ही गाड़ी दिलवाएगी।
ये सुंदर काया मिली तुझे,
इससे ही कमाई आएगी।
मैं निर्मल कोमल काया थी..
फूलों जैसी दिखती थी।
नागिन सी काली रातों में,
दो-दो पैसों में बिकती थी।

मैं बिलख-बिलख कर रोई थी,
इस बार नहीं जाऊँगी।
इस बार गई तो माँ अपनी,
हस्ती को मिटा आऊँगी।
मेरे बच्चे ही रूह भी तो,
मेरे ही अंदर पिघल गई।
ये काल सर्पिणी संग मेरे ...
मेरे बच्चे को भी निगल गई।

शायद मेरे अपनों की करूणा,
पत्थरों में ढल गई।
बाबुल की बिटिया पिया घर,
धू-धू करके जल गई।

ससुर ने मुँह में कपड़ा भरा..
पति ने कुंदी लगाई थी।
देवर कट्टी लेकर आया...
सासु ने तीली सुलगाई थी।
ये बिलबिलाती हुई काया मेरी,
तब माँ ही माँ चिल्लाई थी।
तब इक पल के लिए क्या माँ मेरी,
तुझे मेरी सुद न आई थी।

बाबुल तुमको सुनना न पड़े।
झूठी कहानी बुनना न पड़े।
काहे बेटी है मयके में,
काहे न अपने घर गई।
ले तेरी इज्जत के खातिर,
तेरी बेटी है मर गई।
और नकाबपोश की टोली,
साफ बचकर निकल गई।

मुझ में अपनी बेटी देखो,
फिर दर्द का अंदेशा आएगा।
कुछ करो समाज के ठेकेदारों,
वर्ना फिर किसी बेटी के
जलने का संदेशा आएगा।।

सीमा शिवहरे "सुमन"
भोपाल

Hindi Poem by Seema Shivhare suman : 111162123
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now