#kavyotsav #bhavnapradhan
#आतंकवाद के ख़िलाफ़
आओ जलाएं एक दीया विश्वास का
कुछ तो होगा दूर अंधेरा
कितनी भी हो लंबी रात , हर रात का अंत सवेरा
इस छोटी सी आस का ।
आओ जलाएं एक दिया विश्वास का.......
भले ही इस लौ की गरमी से
नहीं सिकेंगे ज़ख्म किसी के ,
भले किसी के जीवन का अनवरत अंधेरा
एक बूंद की इस ज्योति से नहीं उजाले में बदलेगा
पर जब लाखों दीयों की लौ इक साथ जलेगी
नहीं अकेले नहीं हैँ हम,कोई हमारे साथ तो है
फैलेगा उजियारा इस एहसास का
आओ जलाएं एक दिया विश्वास का.......
एक आतंक का बादल आकर ऐसे फैला
पाषाण हृदयों से निर्ममता की
बारिश के छीटें पड़े सभी पर
कहीं कम तो कहीं ज्यादा , रहा भीगता देश मेरा
फ़िर भी सबने मिलकर है ये ज्योत जलाई
नहीं डरेंगे ना हारेंगे , दुश्मन को मिलकर मारेंगे
कभी तो होगा अंत शान्ति और प्रेम के कारावास का
आओ जलाएं एक दिया विश्वास का.......
जिन हाथों में गईं थमाई बंदूके ,
पैदा तो वो भी आख़िर इंसान हुआ था
मगर कभी इंसां बनकर ना जी पाया
रहा हैवान के साथ तो खुद हैवान हुआ था
मिले उन्हें सद्बुद्धि के वो छोड़ सकें
हैवानियत के इस जाल को तोड़ सकें
वो ये समझें कि ना हिन्दू ना मुसलमान मरता है
वो ये जाने के मरता है तो बस इंसान मरता है
उन्हें लगता है इक गोली से बस इक आदमी मारा
काश वो देखें जीते जी मरा परिवार है सारा
काश कभी भीगें वो भी उन आँसुओं की बारिश में
जो उन जैसे हैवानों ने जाने कितनों को बाँटे हैं
काश कभी वो भी छूकर देखें उन फ़ूल गुलाबों को
जिनकी पंखुड़ियां कुचली गयी, दामन में बस कांटे हैं
काश के उन तक भी इस दीपक की लौ का इक कण पहुंचे
और दिखा दे रास्ता इस क्रूरता के नाश का,
आओ जलाएं एक दिया विश्वास का.......
anjali cipher