अचानक से चौंक कर आँख खुल जाती है
और दिल में घबराहट सी होती है फिर
सारी रात यूँ ही जागते हुए गुजर जाती है
तुम्हारी याद और तुम्हारी बातें
उन्हें सोचकर मन को बहलाती हूँ
काभी चहक पड़ती हूँ और कभी
उदास हो जाती हूँ
कल हम मिलेंगे कुछ मन को सकूँ आयेगा
फिर तन्हाई और बेइंतिहा दर्द का साथ
जो सिर्फ मुझे किसी तरह या मर मर के
अकेले सहना होगा
प्रिय तुम मुझे प्रेम करते हो न
बस यही एक बात मन में
खुशी भरती है लेकिन तुम्हारी शर्तें
दुख भर देती है और मुझे बंधनों में जकड़ देती है
प्रिय प्रेम तो आजादी देता है न
उछाह देता है न फिर
ये कैसी जकड़न कि लब सी देते हैं
मुस्कान को
और आँख में मेरे भर जाती है नमी
सिर्फ नमी ll
seema असीम saxena