#kavyotsav2 / प्रेरणादायक

खुब लडी मर्दानी थी ।

घनघोर अंधेरे में
बिजली सी चमक उठी थी ।
रणरागिणी, समशेरधारिणी,
वो झाँसी वाली रानी थी ।।

सन सत्तावन में 
भारतभू एकदमसें थर्राई थी ।
उसकी रक्षाखातीर 
रानी नें तलवार उठाई थी ।।

वारस कायदा लाके,
कुटनीती खेली थी ।
भूमी हडपने की,
अंग्रेजो की नियत पुरानी थी ।।

ताके लक्ष झाँसी पें,
अंग्रेज सरकार बैठी थी ।
'मेरी झाँसी नही दूँगी'
वो शेरनी सी दहाडी थी ।।

शत्रु कि संख्या देख,
पल भर भी ना घबराई थी ।
इतनीसी झाँसी लेकर वो,
परबत सें टकराई थी ।।

महिला होकर भी ,
वो अबला न कहलाई थी ।
शोले थे आँखों में,
दिल में सन्मान कि चिंगारी थी ।।

आखरी कतरा खून तक,
खुब लडी मर्दानी थी ।
रणरागिणी, समशेरधारिणी,
वो झाँसीवाली रानी थी ।।

Marathi Poem by Amey Jadhav : 111161268
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