KAVYOTSAV_2
कविता_ प्रेम
✍️लो आ गया बसंत!
#सतरंगी , इंद्रधनुषों से
घिरी हुई हूं मैं,
#जब से तुमने,
मुझे मेरे नाम से पुकारा है......
मैं #बसंत हुई,
महक रही हूं,
#जब से तुमने,
मेरे हाथों को छुआ है......
#पतंगों सा उड़ा मन,
खोई सुध बुध,
#जब से देखा तुमको,
कैसा ये मन बावरा है......
सुनी #सांसों की धड़कन,
#जब से तुम्हारी,
चेहरा सुर्ख गुलाल,
मन फाल्गुन हुआ है......
#ख्वाबों की दुनिया,
#जब से सजाई थी तुमने,
सारा आकाश जगमग,
दिल दिवाली हो रहा है......