तलवारों पे सर वार दिए
अंगारों में जिस्म जलाया है
तब जाके कहीं हमने सर पे
ये केसरी रंग सजाया है
ऐ मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे
महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा चाहे जान मेरी ये रहे न रहे
ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी
मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे
फ़ीका न पड़े कभी रंग तेरा जिस्मों से निकल के खून कहे
तेरी मिट्टी में मिल जांउं
ग़ुल बन के मैं खिल जांउं
इतनी सी है दिल की आरज़ू
तेरी नदियों में बह जांउं
तेरी फ़सलों में लहराउं
इतनी सी है दिल की आरज़ू
सरसों से भरे खलिहान मेरे जहाँ झूम के भंगड़ा पा न सका
आबाद रहे वो गांव मेरा जहाँ लौट के वापस जा न सका
ओ वतना मेरे वतना वे तेरा मेरा प्यार निराला था
क़ुरबान हुआ तेरी असमत पे मैं कितना नसीबों वाला था
ओ हीर मेरी तू हँस्ती रहे तेरी आंख घड़ी भर नम् न हो
मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो
ओ माई मेरी क्या फिक्र तुझे क्यूँ आँख से दरिया बहता है
तू कहती थी तेरा चाँद हूं मैं और चाँद हमेशा रहता है...
???????️THIS IS THE ALL STORY OF THE SOLDIER????????
???जय हिन्द जय हिन्द की सेना???