हाँ मैं ब्राह्मण हूँ, निश्चल हूँ,निष्पक्ष हूँ,निष्पाप हूँ ।हाँ मैं ब्रम्हण हूँ ।।
कमजोर इतना हूँ कि सबको माफ कर देता हूँ ।
लालची इतना हूँ कि चन्द्रगुप्त को राजा बना देता हूँ ।
डरपोक हूँ,
इसलिए तो पृथ्वी को इक्कीस बार अत्याचारियों से मुक्त करता हूं ।
अनुपयोगी भी हूँ ,तभी तो हड्डियों से वज्र बनवाता हूँ ।
अनपढ हूँ, क्योंकि व्याकरण और गणित को खोज कर लाता हूँ ।
जातिवादी हूँ,
माया,मुलायम,कांग्रेस,भाजपा....पता नहीं कितनो के साथ हूँ ।
आरक्षण का विरोध नहीं करता ,क्यूंकि अपनों के नाराज होने का डर है।
सरकार से कुछ नहीं मांगता,क्यूंकि हिन्दूस्तान कमजोर होने का डर है ।।
बंगलादेश,पाकिस्तान से गायब हूँ, काश्मीर से निष्कासित हूँ ।
फिर भी अखंड भारत का स्वपन देखता हूँ ।
कदम कदम पर ठगा जाता हूँ,...
फिर भी सर्वेभवंतु सुखिन:का मंत्र गुनगुनाता हूँ ।क्योंकि .....
||मैं ब्राह्मण हूँ||