ये छोटे साहब मिजोरम के सैरांग से हैं..
ये साइकिल चला रहे थे कि अचानक पड़ोसी की मुर्गी इनके साइकिल के नीचे आ गयी..
इनको इतना दुःख हुवा कि वापस अपने घर भाग के गए और जितने भी पैसे इनके गुल्लक में थे, उनको निकाल अस्पताल पहुंच गए मुर्गी को ठीक कराने।
ये फोटो उसी अस्पताल के डॉक्टर ने ली है जिसके पास ये मुर्गी को लेकर गए थे..
अपने गुल्लक की सारी बचत के रुपयों के साथ ये डॉक्टर के सामने खड़े हैं और रोते हुए कह रहे हैं कि...
"इसे ठीक कर दो डॉक्टर"
हम सबके भीतर के इसी बच्चे को मौजूदा घृणा आधारित राजनीति ने मूर्छित कर रखा है..
मतांधता ने मानवता को कहीं हासिये में धकेल दिया है।
इसे देख, हम अपने बचपन के ऐसे ही दिनों को याद कर सकते हैं, याद कर सकते हैं कि कैसे छोटी छोटी चीज़ें हमें इतना दुखी कर जाती थीं कि खाना पीना भी दूभर हो जाता था..
लेकिन अफ़सोस अब हम बड़े हो गए हैं, इंसानों द्वारा इंसान को कुचल दिए जाने पर भी हम "किन्तु/परन्तु" करते हुवे उसे जस्टिफाई करने की कोशिश करते हैं, या ऐसा करने की हिमायत करने वालों की वकालत
सलाम छोटे साहेब ?