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मेरे जज़्बातों को मालूम है मेरी कलम की फितरत..,
"गर इश्क लिखना चाहूँ..,
इंकलाब लिखा जाता है..!!"
शहीदे आजम सरदार भगत सिंह..
तेरी शहादत ने सियासत नहीं मुकाम
दिया है ।
नस्लों को इंकलाब खोया हिन्दुस्तान
दिया है ।
रखा दिल में वतन कदमों में गुलामी के तख्तो ताज ।
तेरी सरफरोशी ने वतन को पहचान
दिया है ।
शहिदे आजम सरदार भगत सिंह जी के वलिदान दिवस पर भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि..?
शत् शत् नमन..???
इंकबाल जिंदाबाद ????
वंदे मातरम् ????